मेरा नाम साजन है और मेरी उम्र 28 साल की है और
मेरी हाईट 5’3” है, मैं दिखने में साधारण हूँ और मेरे लंड
का आकार भी सामान्य है साढ़े छः इन्च,
जो किसी भी लड़की या औरत को संतुष्ट कर सकता है।
यह कहानी मेरे पहले सेक्स के ऊपर आधारित है, इसमें मैंने
सच ही लिखा है पर आपको कैसी लगी यह आप मुझे जरुर
लिखना।
यह बात अब से आठ साल पहले की है, हमारे सबसे छोटे
चाचा की शादी थी जो गाँव में रहते हैं, तो हम
सभी सही समय पर अपने गाँव पहुँच गए। वहाँ पर मेरे कुछ
यार दोस्त हैं, रात को हम सबने मिलकर ड्रिंक की और
पूरी रात हमने मस्ती की, रात को तीन बजे जाकर हम
सोये।
फिर अगले दिन चाचा की शादी थी और बारात पास
ही में जानी थी और वैसे भी बारात दिन की ही थी,
हमने चाचा जी को बहुत कहा कि रात
की शादी होती तो और भी मज़ा आता !
पर चाचा ने कहा- यह सारा इंतजाम तेरे दादाजी ने
ही किया है, उनसे ही बोल जो बोलना है !
हम अपने दादाजी से बहुत डरते थे क्योंकि वो बात बात
पर गुस्सा करते थे, हमने चाचा जी को बोला- चलो कोई
बात नहीं।
फिर हम नहा धोकर तैयार हो गए और मैं
अपनी मण्डली में जा पहुँचा तो वो पहले से ही खा-
पी रहे थे, मैं भी शामिल हो गया और फिर बारात
का समय हो गया तो हम अपनी मोटर साइकिल से
बारात में शामिल हो गए। वहाँ पर हमने खूब मस्ती की।
शाम को वहाँ से बारात विदा हुई और हम रात को दस
बजे तक अपने गाँव में पहुँच गए।
एक तो मैं पिछली रात को लेट सोया था और फिर आज
शादी में हमने इतनी मस्ती की थी कि मैं बहुत
ज्यादा थक गया था तो मैं अपनी मम्मी को बोल कर छत
पर सोने चला गया। आप
सभी को पता ही होगा कि अक्सर गाँव में सभी की छत
मिली हुई होती है और भी लोग अपनी छत पर सो रहे थे
तो मैं अपना बिस्तर बिछा कर लेट गया।
सितम्बर का महीना था तो कुछ ठण्ड भी पड़नी शुरू
हो गई थी। रात को करीब तीन बजे मेरा नशा कुछ
हल्का हुआ तो मुझे ठण्ड सी लगने लगी और मेरी आँख खुल
गई। मेरा लंड अपने आप ही खड़ा हो गया, मेरी समझ में
नहीं आ रहा था कि यह अपने आप ही कैसे खड़ा हो गया।
अब मैंने सोचा कि लंड तो खड़ा हो गया है,
तो इसको बिठाने के लिए मुझे मुठ मारनी पड़ेगी और अगर
किसी की चूत मिल जाये तो क्या कहने !
मैंने उस वक्त तक चूत देखी तक नहीं थी मैं तो बस
कल्पना ही कर सकता हू्था। मैं उठकर बैठ गया और
चारों ओर देखने लगा तो देखा छत पर करीब बीस से
पच्चीस लोग सो रहे थे।
और मेरे बहुत ही करीब एक लड़की सो रही थी जो बहुत
ही सुन्दर थी और ऊपर से चांदनी रात
थी तो वो चांदनी में और भी हसीन लग रही थी।
जब मैंने उसको गौर से देखा तो पता चला कि वो दूर के
रिश्ते में मेरी बहन है, उसका नाम सीमा है और
वो मेरी हमउम्र है, गदराया हुआ उसका बदन और
उसकी लम्बाई भी मेरे जितनी ही थी।
एक बार तो मन किया कि सीमा को पकड़ कर चोद दूँ पर
क्या करता, मैंने उसको कभी इस नजर से
देखा ही नहीं था। एक बात और मैंने कभी उस वक़्त तक
किसी को चोदा भी नहीं था तो मैं वापस अपनी चादर
लेकर लेट गया।
पर मेरा मन था कि मान ही नहीं रहा था मेरी आँखों से
नींद गायब हो गई थी और वो मेरे इतने पास
सो रही थी कि मैं अपने आप को कंट्रोल ही नहीं कर
पा रहा था तो मैंने सोचा कि जो होगा देखा जायेगा,
डर भी लग रहा था।
मैंने सोने का नाटक करते हुए अपना एक हाथ उसके ऊपर
रखा दिया और चुपचाप लेटा रहा पर उसने कोई
भी हरकत नहीं की तो मेरा होंसला और बढ़ गया और मैंने
अपना हाथ उठा कर उसकी चूची पर रख दिया। अब रख
तो दिया, पर साथ में मेरी गांड भी फट
रही थी कि अगर यह जाग जाए तो मेरा क्या हाल
करेगी !
यही सोच कर मेरी गांड फट रही थी, शायद
वो गहरी नींद में सो रही थी,
जरा सी भी नहीं हिली तो मैंने उसकी चूची को धीरे से
दबा दिया। उसकी चूची दबाने में मुझे बहुत मज़ा आ
रहा रहा था।
सीमा की चूची का आकार 32 का ही रहा होगा, मैं
करीब दस मिनट तक उसकी दोनों चूचियाँ दबाता रहा।
वो तब भी नहीं उठी तो मैं उठकर बैठ गया।
उसने अपने मुंह पर शिफ़ॉन की चुन्नी डाल रखी थी। मैंने
चारों ओर देखा तो सब सोये पड़े थे।
मैंने हिम्मत करके चुन्नी के ऊपर से ही उसके होंठ पर अपने
होंठ रख दिए और चुम्मियाँ लेने लगा। मैं करीब पांच
मिनट तक उसको चूमता रहा। यह कहानी आप
अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
इधर मेरे लंड का बुरा हाल हो गया था, मेरे मन में कुछ
शंका हुई और सोचने पर मजबूर हो गया कि यह
पक्का जाग रही है और इसको भी मज़ा आ रहा है
क्योंकि अगर हम किसी लड़की की चूची दबायेंगे
तो वो चाहे कितनी भी गहरी नींद में हो, जाग जाएगी।
पर यह तो हिल भी नहीं रही है तो मुझे समझते हुए देर न
लगी कि इसको सब पता है।
जरुरत तो सबको होती है, चाहे वो लड़का हो या फिर
लड़की।
मैंने अपनी चादर उठाई और उसके बिस्तर पर पहुँच
गया और उसकी चादर के ऊपर अपनी चादर डाल कर
उसकी बगल में लेट गया। फिर तो मैंने
उसकी चूची को जोर जोर से दबाना चालू किया। मुझे
तो बहुत अच्छा लग रहा था।
उसने उस वक़्त सलवार-कमीज पहनी हुई थी, मैंने
उसका कमीज ऊपर कर दिया फिर उसकी ब्रा भी ऊपर
कर दी फिर मैंने उसकी चूची को पकड़ा तो लगा कि मैंने
मक्खन पर हाथ रख दिया हो ! बहुत ही मुलायम
थी सीमा की चूचियाँ ! साइज यही कोई बत्तिस के
आसपास होगा ! जब तक मुझे सेक्स के बारे में
ज्यादा ज्ञान नहीं था जो भी था वो ब्लू मूवी देख कर
ही था।
मैंने तबियत से उसकी चूची को दबाया, फिर मैं उसके होंठ
पर अपने होंठ रख कर उसके होंठ को पीता रहा, बहुत
ही रसीला स्वाद था उसके होंठों का, मन ही नहीं कर
रहा था उससे अलग होने का, मैंने जी भर के उसके होंठ
पिये फिर मैंने अपनी पैंट और अंडरवियर दोनों ही उतार
दी। फिर मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोला दिया, अब
मुझे बिल्कुल भी डर नहीं लग रहा था। मुझे
पता था कि यह जाग रही है।
जैसे ही मैंने उसकी सलवार नीचे की तो उसने करवट ले
ली मेरी समझ में यह नहीं आया कि इसने करवट क्यों ले
ली !
मैंने उसको सीधा करने की बहुत ही कोशिश की पर
वो थी कि सीधी ही नहीं हुई।
मैंने उसके कान में कहा भी- सीधी हो जा ! मैं कैसे करुँगा?
वो तब भी सीधी नहीं हुई। उसकी गांड मेरे लंड के
बिल्कुल सामने थी, मेरा लंड उसकी गांड को छू
रहा था उसकी सलवार अभी पैरों में ही फंसी हुई
थी घुटनों से नीचे !
यह मेरा पहली बार था, मुझे तो कुछ भी समझ नहीं आ
रहा था कि क्या करूँ। इधर मेरा लंड उसकी गांड में
घुसा जा रहा था। तो मैंने सोच यह
तो सीधी होगी नहीं, मुझे इसे ही करना पड़ेगा तो मैंने
अपने लंड को हाथ से पकड़ कर उसकी गांड के नीचे
लगा दिया। पर लंड को रास्ता ही नहीं मिल
रहा था अन्दर जाने के लिए तो मैंने उसको फिर से कहा-
यार सीधी हो जाओ, मुझसे नहीं होगा ऐसे !
ना तो वो कुछ बोली और भी सीधी नहीं हुई, बस उसने
अपनी गांड पीछे की तरफ और उभार दी।
मुझसे भी अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था तो मैं अपना लंड
उसकी गांड में डालने लगा, पर मेरा लंड फिसल
गया तो मैंने अपने लंड पर थोड़ा सा थूक लगा कर उसके
पीछे लगाया तो मेरे लंड का सुपारा उसके अन्दर घुस
गया में पीछे से और थोड़ी ताकत लगाई तो इस बार
मेरा लंड पूरा ही सीमा की चूत में समा गया।
वो अब भी जरा सी भी नहीं हिली और न ही उसने मुझसे
कुछ कहा, इससे एक बात तो जाहिर थी कि वो पहले
भी चुद चुकी है और अब ऐसे पड़ी है जैसे कुछ
जानती ही ना हो।
जैसे ही मेरा लंड सीमा की चूत में गया मुझे लगा कि मैंने
अपना लंड किसी भट्टी में डाल दिया हो जैसे !
सीमा की चूत बहुत ही गर्म थी, पूरा लंड अन्दर
गया तो मुझे बहुत ही मज़ा आया पर मेरी यह समझ में
नहीं आ रहा था कि मेरा लंड उसकी गांड में गया है
या फिर उसकी चूत में !
पर मुझे इससे क्या फर्क पड़ता है, कहीं तो गया ही है !
पर जहाँ भी गया था, वो थी तो बहुत ही गर्म !
और फिर मैं उस पर अपने लंड से प्रहार करने लगा। करीब
बीस मिनट उसको चोदता रहा और वो ऐसे
ही लेटी रही और मैं उसको चोदता रहा, फिर मुझे अपने
लंड से कुछ निकलता हुआ महसूस हुआ, फिर मेरे लंड से मेरे
वीर्य की पिचकारी छुट पड़ी और मैंने उसको कस कर जकड़
लिया जब तक मेरे लंड की आखिरी बूंद सीमा की चूत में
नहीं उतर गई, मैं तब तक ऐसे ही उसकी चूत में अपना लड़
डाले हुए ही पड़ा रहा।
कुछ देर तक मैं ऐसे ही लेटा रहा, फिर मैंने उसके गाल पर
चूमा और मैं अपने बिस्तर पर आ गया।
मैंने न तो उसकी सलवार ऊपर की, मैं उसको उसी हालत में
छोड़ कर अपने बिस्तर पर पहुँच गया और जल्दी से कपड़े
पहने और लेट गया।
तब मुझे बाद में एहसास हुआ कि अगर उस वक़्त जब में
सीमा की चुदाई कर रहा था, कोई जाग
जाता तो मेरा क्या हाल होता?
यही सोचते सोचते कब मुझे नींद आ गई,
पता ही नहीं चला !
सुबह जब मेरी आँख खुली तो सुबह के दस बज चुके थे। मैं
उठकर नीचे आया और एक चारपाई पर बैठ गया और रात
की बात सोच सोचकर मेरी फट रही थी कि सीमा ने
किसी को बता ना दिया हो।
तभी घर के अन्दर से मुझे सीमा निकलती हुई नजर आई,
मेरी उससे नजर मिलाने की हिम्मत
नहीं हो रही थी तो मैंने अपना सर नीचे कर लिया।
वो मेरे पास आकर रुकी और मुझसे बोली- आपने नाश्ता कर
लिया?
तो मैंने सर नीचे किये ही बोला- मैं तो अभी उठ कर
ही आ रहा हूँ !
तो वो बोली- तुम हाथ मुँह धो लो, मैं नाश्ता लेकर
आती हूँ।
इतना कह कर वो नाश्ता लेने चली गई, उसकी बात से
बिल्कुल भी ऐसा नहीं लगा रहा था कि जो रात को हुआ
वो उससे नाराज है। उल्टा वो तो बहुत ही खुश नजर आ
रही थी।
मैं अपने चाचा के यहाँ तीन दिन और रुका वो तो मेरी हर
बात ऐसे मान रही थी कि मैं उसका पति और
वो मेरी पत्नी हो !
पर किसी को हम पर शक न हो तो सबके सामने वो मुझे
भाई कहती थी।
मैंने बस उससे एक ही बार सेक्स किया था क्योंकि फिर
हमको मौका ही नहीं मिला।
आज भी उसकी बहुत याद आती है, कुछ दिनों बाद मुझे
पता चला कि उसकी शादी पक्की हो गई है।
मैं उसकी शादी में नहीं गया ! पता नहीं क्यों? बाकी सब
गए।
फिर मैं उससे दुबारा कभी नहीं मिला पर एक बार मिलने
को बहुत मन करता है। पता नहीं उससे अब कब
मिलना हो।
यह थी मेरी पहली और सच्ची कहानी !
आपको कैसी लगी।
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