Thursday, 24 October 2013

प्यारी मोना

मैं हूँ विक्की ! हरियाणवी हूँ, पर उड़ीसा में पला-
बड़ा हुआ और मुंबई में जॉब करता था.... आज मैं दिल्ली में
जॉब करता हूँ।
उम्र 24 साल,.पेशे से इंजिनियर, लम्बाई 6'2", वजन 68
किलो और देखने में मध्यम, पर बातें बहुत मीठी !
बात उन दिनों की है जब मैं अपने इंजीनियरिंग के दूसरे
साल में था, मेरे कॉलेज में नए जूनियर आये थे और हम पर
रैंगिंग का भूत सवार था। हम लोग बस मौका ढूँढते थे
कि कब मौका मिले और हम रैंगिंग ले किसी जूनियर की !
पर मुझे लड़कियों की चूचियाँ देखने में ही मजा आता था..
मैं रैंगिंग नहीं लेता था। मेरे दोस्त रैंगिंग लेते थे और मैं
डेस्क पर बैठ कर आराम से चूची-दर्शन करता था। आप
लोग समझ ही गए होंगे कि नेत्र चोदन में
कितना मजा आता है।
खैर मैं अपनी कहानी पर आता हूँ !
उसी दौरान मैंने एक जूनियर लड़की मोना को देखा, कद
5'6", चूची मस्त गोल-गोल करीब 32 की, कमर 24 की,
और कूल्हे 36 के ! उसको देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया,
मेरे दोस्त उसकी रैंगिंग ले रहे थे और उससे डांस करने
को कह रहे थे।
और वो सच में एक कमाल की डांसर थी। वो क्लास रूम में
भी मस्त डांस कर लेती थी। मेरा मन उसे भोगने का होने
लगा। मैंने अपनी योजना बना ली।
चूँकि मैं अपने कॉलेज का छात्र-प्रधान था, मुझे बहुत
शक्तियाँ प्राप्त थी। उसी समय अक्टूबर में हमारे
कॉलेज़ में वार्षिक-उत्सव होता है और मुझे इसी मौके
की तलाश थी। मैंने बिना उसे बताये ही डांस के लिए
उसका नाम दे दिया। जब उसने सूचि में अपना नाम
देखा तो वो खुशी से पागल हो गई। पर उसे
पता नहीं था कि यह काम मैंने किया है, तो उसके मन में
यह जानने के लिए बहुत उत्सुकता थी कि उसका नाम
किसने दिया है, पर मैंने अपनी फ़ील्डिंग बहुत अच्छी सेट
की हुई थी इसीलिए मेरे किसी दोस्त ने उसे
नहीं बताया।
खैर वो वार्षिक-उत्सव का दिन आ गया। उसने बहुत
अच्छा प्रदर्शन किया और वो कॉलेज की नृत्य-
सम्राज्ञी चुन ली गई।
उत्सव के आखिरी दिन मैंने अपने भाषण में उसकी जम कर
तारीफ की और कहा- हमारे कॉलेज में ऐसे गुणियों के आ
जाने से हमारा कॉलेज का नाम रोशन होगा। मैं
धन्यवाद देना चाहूँगा रवि का जिसने इस
प्रतिभा को ढूंढा है !
रवि मेरा दोस्त है, मैंने अपनी योजना कुछ ऐसे ही बनाई
थी।
उत्सव के ख़त्म होते ही वह रवि से मिली और उसे
धन्यवाद दिया पर रवि ने उसे कहा- धन्यवाद मुझे
नहीं विक्की से बोलो क्योंकि तुम्हारा नाम उसने
ही दिया था। और फिर रवि ने मेरे बारे में
अच्छी खासी डींगें हांक दी उसके सामने
कि "विक्की ऐसा है...विक्की वैसा है ...वगैरह-वगैरह !"
और वो मुझ से प्रभावित हो गई थी।
अब मुझे बस इंतज़ार करना था उसके मुझसे मिलने आने का !
और मुझे ज्यादा इन्तज़ार नहीं करना पड़ा। करीब एक
घंटे बाद उसका फ़ोन आया मेरे मोबाइल पर !
मैं- हेलो, कौन?
वो- हेल्लो ! विक्की बोल रहे हो?
मैं- हाँ... आप कौन?
"मैं मोना !!...आपकी जूनियर ...आपने जो भी मेरे लिए
किया, उसके लिए धन्यवाद !"
"अरे कुछ नहीं यार.. कॉलेज की प्रतिभा कि खोज
निकालना और मौका देना मेरा काम है यार... इससे
ही तो हमारे कॉलेज का नाम रोशन होगा।
चलो अभी मैं व्यस्त हूँ.. बाद में कॉल करता हूँ !"
इतना कह कर मैंने फ़ोन काट दिया।
दो दिन बाद वो मुझसे मिलने कॉलेज में मेरे अड्डे पर पहुँच
गई। रवि के साथ और मुझे फ़िर से धन्यवाद किया।
मैंने कहा- सिर्फ धन्यवाद से काम नहीं चलेगा.... एक
पार्टी तो बनती ही है न !
उसने हँस कर पूछा- क्या चाहए पार्टी में?
मैंने कहा- बस एक कोल्ड ड्रिंक !
और फिर कोल्ड ड्रिंक पीने के बाद मैंने उसे उसकी क्लास
तक छोड़ दिया।
अब वो मुझ से आकर्षित हो चुकी थी....क्योंकि मैंने
उसकी बहुत मदद की थी- उसके गुणों को सबके सामने
लाने में, पढ़ाई में, हर चीज़ में....
धीरे-धीरे वो मेरे प्यार के जाल में फंस गई और हम कॉलेज
में घंटों साथ बिताने लगे।
एक दिन उसने मुझे प्रोपोज कर ही दिया..
वो था दिसम्बर 24 और मैंने उसे हाँ कह दिया... हमारे
प्यार की गाड़ी चल निकली।(हालाँकि मैं सिर्फ उसे
चोदना चाहता था पर वो यह नहीं जानती थी)
फिर उस दिन मैंने उसके गाल पकड़ कर उसके माथे पर चूम
लिया.. उसने अपनी आँखें बंद कर ली थी......
फिर मैंने उसके गालों पर चूम लिया तो उसके गाल शर्म से
लाल हो रहे थे....
और फिर मैंने उसको छोड़ दिया उसकी क्लास में ....
अब मैं बस मौके की तलाश में था। उसे पूरा यकीन
हो गया था कि मैं उससे प्यार करता हूँ और मुझे उसके
शरीर से कोई लेना देना नहीं है। वो मुझ पर
पूरा भरोसा कर चुकी थी।
फिर नव वर्ष के दिन मैंने उसे एक डेट के लिए
बुलाया....आर वो झट से मान गई.... उस दिन मैंने उसे
चोदने का मन बना लिया था।
मेरे लिए वो लाल टॉप और जींस पहन कर आई थी और
बाल उसके कूल्हों तक खुले हुए थे। क्या क़यामत लग
रही थी वो !
मैंने इस डेट के लिए अपने दोस्त की कार ले ली थी। मैंने
उसे उसके घर के पास से कार में बैठाया और मैं उसे लेकर में
उड़ीसा के एक मशहूर पर्वतीय स्थल "देओगढ़" ले गया।
वहाँ पर मेरे नाम पर पहले से ही एक कमरा बुक था। हम
दोनों ने चेक-इन किया। फिर फ्रेश होकर हम घूमने चले
गए। तब सुबह के दस बज रहे थे। फिर एक पहाड़ के ऊपर,
जहाँ कोई नहीं था, वहाँ पर मैंने उसके गाल को चूम
लिया !
वो शरमा गई !
फिर मैंने उसे कहा- आँखें बंद कर लो !
उसने कर ली !
मैंने उसके गालों को पकड़ कर अपने होंठ उसके होंठों पर
रख दिए !
उसके होंठ कांप उठे ! और मैं उसके अधरों को पीने लगा।
मेरा लण्ड उसके गरम तपते होठों की गर्मी से
ही खड़ा हो गया और फिर मैंने उसके गले पर चूमा !
वो कुछ नहीं बोल रही थी, सिर्फ आँखें बंद करके होंठ
दबा रही थी....
फिर मैं अपने हाथों से उसके पीठ को सहलाने लगा !
मेरा हाथ फिसल कर उसके कूल्हों पर जा रहा था....
और ऐसा करते ही वो मेरे से पूरी चिपक गई और उसके तने
हुए स्तन मेरी छाती से टकरा गए। उसके चुचूक
मेरी छाती में चुभ रहे थे और मेरा लण्ड उसकी चूत के ऊपर
सटने लगा.....
पता नहीं उसको अचानक क्या हुआ- उसने अपना हाथ मेरे
लण्ड पर रख दिया और उसका जायजा लेने लगी, बोली-
इतना बड़ा लण्ड ! ऐसा तो मैंने सिर्फ फिल्मों में
देखा है !
मैंने पूछा- इससे पहले कभी लण्ड देखा है?
उसने बोला- बच्चों का देखा है और फिल्मो में देखा है !
और फिर मैंने अपना हाथ उसकी चूचियों के ऊपर रख
दिया।
क्या कड़क चूचियाँ थी !
मेरा लण्ड एकदम फट जाने को हो रहा था। ऊपर से
ही मैं उसकी चूचियों को मसलने लगा।
वो बोली- धीरे करो... मुझे कुछ कुछ हो रहा है.... आज तक
किसी ने मेरी चूचियों को नहीं छुआ है, तुम पहले
हो जिसने मेरी चूचियों को हाथ लगाया है !
यह सुन कर मुझे जोश आ गया और मैंने जोर से
उसकी चूचियाँ मसल दी.....
वो मचल उठी और उसने मेरा लण्ड दबा दिया, फिर
मेरी पैंट की जिप खोलकर मेरे लण्ड को निकाल
लिया और उसे अपने हाथ में पकड़ कर मुठ मारने लगी।
इतने में किसी को उस तरफ आता देख मैंने उसे कहा- कमरे
में चलते हैं..
और हम कमरे में आ गए।
कमरे में आते ही मैंने उसे चूमना शुरु कर दिया और
उसकी टॉप उतार दी।
उसने भी मेरी जिप खोल कर मेरा लण्ड निकाल लिया,
एक स्केल ले आई और स्केल से मेरे लण्ड को नापने लगी।
उसने नाप कर बताया 21 सेमी है....
और फिर उसने अपने हाथ से मेरे लण्ड की गोलाई
नापी और उस गोलाई को स्केल पर उतारते हुए कहा-
12 सेमी है।
फिर उसने मेरी पूरी पैंट उतार दी और मेरे लण्ड को जोर
जोर से सहलाने लगी..... और अचानक से ही उसके सुपारे
पर चुम्मी ले ली.....
मैं सिहर उठा.....
और मैंने उसकी ब्रा के ऊपर से उसके दूध दबा दिए.....फिर
मैंने उसकी ब्रा के हुक खोल दिए और उसकी मस्त मस्त
गोल गोल चूचियाँ मेरे सामने थी....
मैं अपने आपको संभाल नहीं पा रहा था और मैंने उसके चुचूक
को अपने मुँह में भर लिया और उसे बिस्तर पर
लेटा दिया......
फिर मैं उसके पूरे जिस्म को चाटने
लगा.....उसकी चूचियों को चूसते वक़्त मुझे
ऐसा लगा कि मानो मैं स्वर्ग में हूँ !
एकदम गोरी, भूरे और कड़क चुचूक.......
फिर मैंने उसकी नाभि पर चूमा..... और धीरे से
उसकी जींस उतार दी। अब वो केवल पैंटी में थी।
मैंने उसे भी निकाल फेंका...... अब वो जन्मजात
नंगी थी मेरे सामने......
उसका बदन देख कर मेरा लण्ड बेताब
हो रहा था उसकी चूत में जाने के लिए.......
मैंने किसी तरह खुद पर काबू रखा और उसकी चूत पर
अपना मुँह सटा दिया। एक भी बाल नहीं था चूत पर !
गुलाबी चूत के ऊपर लाल रंग का भगनासा को देख कर मैंने
उसे अपने मुँह में ले लिया और उसका रसपान करने लगा।
क्या मस्त कसैला स्वाद था.... मेरा मुँह
पूरा कसैला स्वाद से भर चुका था......पर मुझे बहुत मजा आ
रहा था......
उसकी हालत मुझसे भी ज्यादा पतली थी और वो आह उंह
करके सिसकारियाँ भर रही थी। अचानक ही उसने मेरे
बाल पकड़ कर अपनी चूत से मेरे मुँह को सटा लिया और
जोर जोर से कमर उछालने लगी।
वो स्खलित हो रही थी....और मेरे मुँह पर
अपना सारा माल निकाल रही थी। मुझे थोड़ा अजीब
लगा पर उसकी गंध मुझे बहुत अच्छी लगी और मैंने उसे चाट
लिया।
फिर मैं उसके ऊपर बैठ गया और उसके मुँह में अपना लण्ड
ठूंस दिया। वो उसे लॉलीपोप की तरह चूसने लगी....
जब मैं झड़ने वाला था तो मैंने अपना लण्ड निकाल
लिया उसके मुँह से और फिर मैंने थोड़ी सी क्रीम लेकर
उसकी चूत पर लगा दी। उंगली अंदर-बाहर करके क्रीम
उसकी चूत के अन्दर भी लगा दी। उंगली बड़ी दिक्कत से
अन्दर जा रही थी।
थोड़ी देर बाद मैंने दो उंगलियाँ अंदर करनी शुरु की और
मुझे कामयाबी मिल गई। जब मैंने अपनी दो उंगली जाने
के लिए पर्याप्त रास्ता बना लिया तो मैं चुदाई के
लिए तैयार था।
अब मैंने अपने लण्ड को उसकी चूत पर जैसे ही रखा, उसके
मुँह से सिसकारी छुट पड़ी और वो कहने लगी- हाय
राम ! इतना बड़ा मेरी में नहीं जायेगा.....
मैंने कहा- ठण्ड रखो डार्लिंग .... आराम से जायेगा....बस
हल्का सा सब्र रखो !
फिर मैंने अपने लण्ड का सुपारा उसके चूत के दरवाजे पर
सटा कर हल्का सा धक्का दिया। चूत चिकनी होने के
कारण मेरा सुपारा गप्प करके उसकी चूत के अन्दर
चला गया और वो चिहुंक उठी, उसने कहा- निकाल लो !
पर मैं कहाँ मानने वाला था, मैंने उसके चुचूक को अपने मुँह
में लेकर एक और धक्का लगा दिया और मेरा आधा लण्ड
उसकी चूत में चला गया। उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे
और वो कहने लगी- मुझे छोड़ दो !
मैं नहीं माना और मैंने और एक धक्का जड़ दिया।
वो और जोर से रोने लगी....
और मैंने उसकी परवाह न करते हुए एक जोरदार
झटका मारा और पूरा लण्ड उसकी चूत में पेल दिया।
उसकी चूत से खून निकलने लगा और मैं उसी मुद्रा में उसके
चुचूक चूस रहा था।
थोड़ी देर बाद उसका दर्द कम हुआ तो मैंने
अपना पूरा लण्ड बाहर निकाल लिया और फिर से सेट
करके एक धक्के में आधा लण्ड पेल दिया..दूसरे धक्के में लण्ड
पूरा अंदर था......और वो चिल्ला रही थी........आह
उह ...पर वहां उसकी पुकार सुनने वाला कोई नहीं था...
मैं इत्मिनान से धक्के मार रहा था......इस बार मैंने
अपना लण्ड फिर से बाहर निकाला और एक ही धक्के में
पूरा पेल दिया.....
अब लण्ड के जाने का रास्ता बन चुका था......
फिर मैंने धीरे-धीरे अपनी गति बढ़ा दी... अब मेरा लण्ड
आराम से अन्दर-बाहर हो रहा था और वो वह गांड
उछाल-उछाल कर साथ दे रही थी, पूरा कमरा फ़च्छ-
गच्च्छ की आवाजों से गूंज रहा था, वो मजे ले रही थी और
बोल रही थी- वाह विक्की वाह.... क्या लण्ड
पाया है.... बहुत मजा आ रहा है.... चोदो और चोदो....
फाड़ डालो मेरी चूत को... आःह्ह्ह... ....येआ आह्ह...
आआस्स्श.... ऊउह्ह.....
फिर करीब 30 मिनट के बाद मेरा लण्ड अकड़ने लगा और
उसकी चूत भी अकड़ने लगी...
और हम दोनों ने अचानक ही एक दूसरे को जोर से जकड़
लिया....
हम दोनों एक साथ स्खलित हुए....
और मैंने अपना सारा माल उसकी चूत के अन्दर छोड़
दिया और वो अपनी गांड को गोल-गोल घुमा कर
मेरा रस अपनी चूत में लेने लगी। हम
दोनों इसी अवस्था में लेटे रहे। और जब हम उठे
तो देखा कि चादर पर बहुत सारे खून के धब्बे हैं।
मोना के साथ मेरे सम्बन्ध चल निकले थे, हफ्ते में कम से कम
एक बार हमे मौका मिल ही जाता था। हम दोनों एक
दूसरे से बहुत खुश थे और दोनों जिंदगी के मजे ले रहे थे।
करीब दो साल तक हमारा रिश्ता रहा और हमने
अपनी हर कल्पना को साकार किया.....रोल प्ले से ले कर
के लिफ्ट में अर्ध-सेक्स तक.... फ़ोन-सेक्स से लेकर बाथरूम में
सेक्स तक... सब कुछ कर चुके थे...
इसलिए हम दोनों में कोई तनाव नहीं था... हाँ धीरे-
धीरे मैं उससे प्यार करने लगा था.... मुझे सच में उससे
प्यार होने लगा था और मैं उसे खोना नहीं चाहता था।
मैं अपने मूल मकसद (केवल यौन सम्बन्ध) से दूर हट
चुका था और उसके साथ जिंदगी सजोने के सपने देखने
लगा था....
मगर भगवान को शायद यह मंजूर नहीं था...और कुछ
ऐसा ही हुआ....
जब मैं बी टेक के आखिरी साल में
पंहुचा तो मेरी नौकरी कैम्पस साक्षात्कार के जरिये
एक अच्छी और बड़ी कंपनी में हो गई... और धीरे धीरे
वो मुझसे दूर होने लगी...क्योंकि उसे लगने
लगा था कि शायद मैं उसे छोड़ दूंगा। उसे लगा कि मैं
कहीं और नौकरी करूँगा तब मुझे कोई और लड़की मिल
जाएगी....
पर यह सिर्फ उसकी सोच थी, मेरे मन में ऐसा कुछ
नहीं था और मैं उससे ही शादी करना चाहता था.....
फिर एक दिन अचानक से उसने मुझे कहा- अगर मुझे प्यार
करते हो तो अभी मुझसे शादी करो ! वरना मुझे भूल
जाओ ...
तब मेरी पढाई पूरी होने में भी वक़्त था तो आप समझ
ही गए होंगे कि मुंगेरी लाल के हसीं सपने मैं
नहीं देखना चाहता था इसलिए मैंने उसे समझाने
की कोशिश की मगर वो नहीं मानी।
मजबूरन मुझे उससे दूर होना पड़ा....
हाँ ! दर्द बहुत हुआ मगर मुझे यह इत्मीनान था कि उसे
धोखा नहीं दिया मैंने.....
मेरा कॉलेज में आखिरी दिन था, वो मुझसे मिली और
बोली- मैं तुमसे एक आखिरी बार मिलना चाहती हूँ अकेले
में..
मुझे अपने कानो पर विश्वास नहीं हो रहा था पर
वो सच में मेरे सामने थी और मुझसे मिलने की बात कर
रही थी ..
मैं बहुत खुश हुआ, सोचा कि शायद उससे बात करने का और
समझाने का मौका मिल जायेगा ....
और मैं निर्धारित समय, 28 अप्रैल शाम के 5 बजे उसके
बताए हुए स्थान (मधुबन रेस्तरां) पहुँच गया...
उसने काले रंग का सलवार-सूट पहना था और बहुत
ही कमाल लग रही थी.....
हम दोनों साथ में कुछ जलपान करने लगे और
बातों का सिलसिला चल निकला..
मोना- क्या तुम अब भी मुझसे प्यार करते हो?
मैं- हाँ मैं तुमसे हमेशा ही प्यार करता हूँ !
मोना- एक आखिरी बार मेरी बात मानोगे?
मैं -क्यों नहीं.. आखिरी बार क्यों ! हमेशा मानने
को तैयार हूँ !
फिर मैं पूछता रह गया, मगर उसने कुछ
बताया नहीं कि क्या बात है.....
खैर मैं उसे छोड़ने उसके घर तक गया, उसने कहा- चलो !
अन्दर चलो ! चाय पीकर चले जाना...
मैंने भी सोचा- इसी बहाने कुछ और वक़्त मिल जायेगा..
सो मैं उसके पीछे-पीछे चल पड़ा....
उसके घर कोई नहीं था उस वक़्त... उसकी माँ और
पापा दोनों आफिस गए थे और उसकी बहन कोचिंग गई
थी...
हमने वहाँ चाय पी और फिर मैंने जोर देकर उससे पूछा-
तुम कुछ कह रही थी? बोलो न !
उसने कुछ कहा नहीं और सीधे मेरे सामने आ कर
अपनी कमीज उतार दी और बोली- क्या यह तुम्हें अब
पसंद नहीं है ?
मुझे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हो पा रहा था,
उसकी चूचियाँ जो पहले 32 की थी, आज 34 की लग
रही थी। यह मेरी ही मेहनत का फल था, पर मुझे
नहीं पता था।
मैं अपने होश खो रहा था और मेरा लंड आपे से बाहर
हो रहा था। जींस में मुझे अपने लंड को संभालना मुमकिन
नहीं लग रहा था और मुझे मानो सांप ने काट
लिया हो... मेरे मुँह से कुछ नहीं निकल रहा था।
उसने अपनी बात दोहराई- क्या तुम्हें ये पसंद नहीं हैं?
मुझे तब जाकर होश आया और मैंने लपक के उसके
गालों को चूम लिया और उसे अपनी बाहों में भर
लिया..... मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और
अधर-पान करने लगा....
करीब चार महीने बाद मुझे यह मौका मिला था तो मुझे
बहुत ज्यादा उत्तेजना हो रही थी......
उसके होंठ को चूसते हुए मैंने अपने हाथ उसके दूध पर रख
दिए और उसको मसलने लगा.....
वो भी मेरे होठों का जम कर रसपान कर रही थी, उसने
कहा- बहुत दिनों से तड़प रही हूँ ! मेरी जान..... प्यास
बुझा दो मेरी....
मैंने उसके स्तनों को दबाना चालू कर दिया और उसके
चुचूक को मसलने लगा उसकी ब्रा के ऊपर से ही....
उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी, वो सिसकार
रही थी और मैं पागल हो रहा था... मैंने उसकी ब्रा के
हुक तोड़ दिए और उसकी नारंगियों को आजाद कर
दिया.....
उसकी संतरे जैसे चूचियाँ उछल कर बाहर आ गई और उसके
चुचूक मानो तन कर एक इंच के हो गए थे। बड़ी ही मोहक
लग रही थी वो इस मुद्रा में.....
मैंने उसके चुचूक को मुँह में भर लिया और चूसने लगा बिल्कुल
एक बच्चे की तरह...
दूसरे चुचूक को मैं चुटकी में भर कर मसलने लगा....
अचानक ही मैंने उसके चुचूक पर दांत गड़ा दिए और
वो चिहुंक उठी- आऽऽहऽऽ ........ मार डालोगे क्या?
मैंने कहा- जान इतने दिनों बाद मिल रही हो ! ऐसे
थोड़े ही न मार डालूँगा.. मैं तो तुम्हारी मार
डालूँगा आज !!
और फिर मैंने उसकी सलवार को खोल कर उसकी पैंटी में
अपना हाथ डाल दिया और उसके भगनासा को मसलने
लगा....
वो मस्ती में भर उठी और उसकी चूत पनिया गई,
उसकी चूत से पानी निकलने लगा और मेरा हाथ चिकनाई
से लबालब हो उठा.....
फिर मैंने उसे उठा कर सोफे पर पटक दिया और
उसकी पैंटी निकाल फेंकी.....अब वो मेरे सामने पूर्ण
नग्नावस्था में थी और मैं उसकी गुलाबी चूत के दर्शन कर
रहा था...
पर आज मेरा मन कुछ और कर रहा था। मैंने अपना लंड
उसके हाथ में दे दिया और उसने बड़े ही प्यार से
उसको अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी....
मुझे तो मानो जन्नत का आनन्द मिल रहा था, मैंने
अपनी आँखें बंद कर ली थी और वो मेरे अंडकोष चाट
रही थी और पूरा लंड अपने मुँह में लेकर चूस रही थी.....
लंड चूसने में उसका जवाब नहीं था.... ऐसे चूस
रही थी मानो जन्म-जन्म
की प्यासी को गन्ना का टुकड़ा मिल गया हो.....
फिर मैंने उसको खड़ा किया और उसे आगे की तरफ झुकने
को कहा, उसने मेरी आज्ञा का पालन किया और आगे
की तरफ झुक गई....
मैंने पीछे की तरफ से उसके स्तनों को अपनी मुठी में पकड़
लिया और उसकी चूत के नीचे बैठ कर उसके चूत का रस
पान करने लगा.......
रस पीते-पीते मैंने उसकी गांड के छेद में एक ऊँगली डाल
दी। उसने अपनी गांड भींच ली, मेरी ऊँगली एकदम क़स
गई। मैंने ध्यान से उसके चूतड़ों को देखा.....
मैंने उसकी गांड कभी नहीं मारी थी, मैंने फैसला कर
लिया कि आज उसकी गांड मारूँगा.....
मैं उठ खड़ा हुआ और थोड़ी सी जेली अपने लण्ड पर लगाई,
फिर थोड़ी सी जेली लेकर उसकी गांड के छेद से लेकर चूत
तक लगा दी, जिससे उसके चूत से उसकी गांड तक एक
फिसलन भरा रास्ता बन गया और उसकी गाण्ड और चूत
के मुँह पर ढेर सारी जेली लगा कर मैंने पूरा चिकना कर
दिया।
उसने मुझे आगाह किया कि वो मुझे गांड नहीं मारने
देगी !
मैंने भी कहा- नहीं जान ! मैं तुम्हारी चूत ही मारूँगा...
गांड नहीं मरूँगा.....
फिर मैंने अपने लंड के सुपारे को उसके चूत के पास
सटा दिया, जानबूझ कर छेद पर नहीं लगाया, मैं
नहीं चाहता था कि लंड चूत में जाये ! मैंने चूत के छेद से
गांड के छेद तक इसलिए ही फिसलन
वाला रास्ता बनाया था....
मैंने चूत के पास लण्ड सटा कर उसके ऊपर झुक गया और
उसकी चूचियों को पकड़ लिया और धीरे से अपनी कमर
आगे की। लंड फिसल गया... मैंने फिर से लंड को चूत के पास
लगा कर एक धक्का लगाया और लंड फिसल के गांड के छेद
से टकरा गया। इस बार मैंने फिर से सेट कर के एक जोर
का करार झटका मारा और लंड अपने फिसलन भरे रास्ते
से होकर उसकी गांड के छेद में घुस गया।
वो चिल्ला उठी- विक्की मैंने मना किया था ना ...
निकाल लो इसे प्लीज़ ! मैं मर जाउंगी.... दर्द
हो रहा है.. निकाल ले साले....निकाल ले.....
मैं कहाँ मानने वाला था....मैंने उसे जोर से जकड़ लिया और
एक धक्का लगा दिया....लंड थोड़ा और आगे सरकते हुए
उसकी तंग गांड में थोड़ा और अन्दर चला गया।
उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे और वो मेरी मिन्नत करने
लगी- प्लीज़ निकाल लो विक्की ! मैं तुम्हारे आगे हाथ
जोडती हूँ... मारना है तो चूत मारो मेरी.. पर
मेरी गांड छोड़ दो प्लीज़...
मैंने उसकी एक न सुनी और एक जोरदार झटका दे
दिया और मेरा लंड पूरा अन्दर चला गया..... मुझे
ऐसा लगा मानो मेरे लंड को किसी ने गरम भट्टी में डाल
दिया हो और उसको क़स के जकड़ लिया हो।
और फिर मैंने उसके दूध को जोर जोर से मसलना शुरु कर
दिया, जब उसका दर्द थोड़ा कम हुआ तो मैंने धीरे धीरे
धक्के लगाने शुरु कर दिए। करीब 5 मिनट के बाद उसे
भी मजा आने लगा और वो गांड धीरे धीरे पीछे की ओर
धकेलने लगी.....
मैंने भी अपने धक्के तेज कर दिए और उसके गांड में अब
मेरा लंड आराम से अन्दर-बाहर जाने लगा.... वो हर
धक्के का जवाब दे रही थी......और उसे मस्ती चढ़ने लगी-
आःह्ह मेरे विक्की....मैं कब से इस दिन का सपना देख
रही थी... पर तुमने मौका नहीं दिया....
डरती थी कि कहीं तुम बुरा न मान जाओ..... इसलिए
गांड मरवाने में नाटक कर रही थी....चोदो मुझे .... जोर
जोर से चोदो .....फाड़ डालो मेरी गांड को........
उसके ऐसे शब्द सुन कर मुझे जोश आ गया और मैं
उसको उठा कर खुद लेट गया और उसको अपने ऊपर
बैठा लिया। उसने मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ कर
अपनी गाण्ड पर सेट किया और मेरे ऊपर बैठ गई। लंड
महाराज आराम से अन्दर चले गए। फ़िर वो मेरे ऊपर
उछलने लगी और मुझे चोदने लगी।
मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी, मैं स्खलित होने
वाला था। उसने भी अपने धक्के तेज कर दिए और वो जोर
जोर से उछलने लगी.....
मैंने अपना लंड निकाल के उसको लेटा दिया, उसकी चूत में
अपना लंड डाल दिया और धक्के लगाने लगा.....
करीब 20 मिनट के बाद मेरा स्खलन हो गया और जैसे
ही मेरा वीर्य उसकी चूत में गिरा..उसकी चूत ने
भी पानी छोड़ दिया।
हम दोनों संतुष्ट हो चुके थे..... अब रात के करीब साढ़े
नौ बज रहे थे... मैंने उसे चुम्मी देकर फोन पर बात करने
का वादा किया और उसके घर से निकल आया.....
आज मेरी और उसकी सिर्फ बातें होती है....

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